उत्तर भारत के सभी राज्यों में बेहद मजबूत स्थिति में दिख रही भाजपा ने मिशन 370 को पूरा करने के लिए दक्षिण की ओर रुख किया है. इस क्रम में पार्टी कर्नाटक के बाद तेलंगाना में बड़ा उलटफेर करने की तैयारी में है. इस राज्य में मुकाबला त्रिकोणीय है लेकिन पीएम मोदी के करिश्माई नेतृत्व के कारण पूरा गेम पलट सकता है. तेलंगाना में लोकसभा की 17 सीटें हैं. इसमें से चार पर भाजपा, नौ पर बीआरएस और तीन पर कांग्रेस का कब्जा है. एक सीट पर एआईएमआईएम को जीत मिली है.
भाजपा का टार्गेट
भाजपा यहां अपनी सीटों की संख्या 10 और वोट 35 फीसदी करने का टार्गेट लेकर चल रही है. ऐसी रिपोर्ट है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद यह टार्गेट तय किया है.
मौजूदा स्थिति
बीते साल नवंबर में इस राज्य में बीआरएस के लंबे शासन का अंत कर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई थी. 117 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस+ को 65 सीटें मिलीं. उसका वोट प्रतिशत 39.74 था. बीआरएस को 39 सीटें और 37.35 फीसदी वोट मिले. भाजपा+ तीसरे स्थान पर रही. उसे आठ सीटें और 14.15 फीसदी वोट मिले. एआईएमआईएम को सात सीटें और 2.22 फीसदी वोट मिले.
2019 का चुनाव
2019 में बीआरएस को 9 सीटें और 41.71 फीसदी वोट मिले. कांग्रेस को तीन सीटें और 29.79 फीसदी वोट मिले. भाजपा को चार सीटें और 19.65 वोट मिले. एआईएमआईएम को केवल 2.80 फीसदी वोट और एक सीट मिली.
भाजपा की रणनीति
भाजपा उत्तरी तेलंगाना पर ज्यादा फोकस कर रही है. उसके मौजूदा चार में से तीन सांसद इसी इलाके से हैं. यह अब तक बीआरएस का गढ़ रहा है. लेकिन बीते दिनों बीआरएस के दो मौजूदा सांसद नागरकुर्नूल से पोतुगंती रामुलु और जहीराबाद से बीबी पाटिल भाजपा में शामिल हो गए. इन दोनों प्रभावशाली नेताओं के भाजपा में आने से पार्टी जोश में है. दूसरी तरह पीएम मोदी इस राज्य में पिछले दिनों सैकड़ों करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास किया है. इससे राज्य में भाजपा विकास की एक नैरेटिव गढ़ने में कामयाब होती दिख रही है.
इसके अलावा पार्टी उन 19 विधानसभा सीटों पर ज्यादा फोकस कर रही है जिसमें वह बीते विधानसभा चुनाव में रनर-अप थी. इन सभी 19 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई थी. पार्टी का मानना है कि कांग्रेस के साथ आमने सामने की लड़ाई में उसके कार्यकर्ता बीस साबित होते हैं. ऐसे में ये 19 विधानसभा सीटें इस बार के लोकसभा की तस्वीर बदल सकती हैं.
कांग्रेस फैक्टर
निश्चिततौर पर कुछ माह पहले ही कांग्रेस पार्टी ने यहां अच्छी जीत हासिल की है. लेकिन, वह मुकाबला विधायकी का था. अब मामला लोकसभा का है. पीएम मोदी के करिश्माई नेतृत्व और बीआरएस के कमजोर पड़ने की स्थिति में अधिक से अधिक फायदा भाजपा को होगा. ऐसे में भाजपा की मजबूती से कहीं न कहीं कांग्रेस को नुकसान हो सकता है.
चुनौती
राज्य में फिलहाल भाजपा बीआरएस के वोटबैंक पर कब्जा करती दिख रही है. ऐसे में कांग्रेस विरोधी वोटों के बंटने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. कांग्रेस विरोधी वोट बंटने से ऐसा संभव है कि भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ जाए लेकिन वह सीटों में तब्दील न हो पाए.
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FIRST PUBLISHED : March 8, 2024, 13:16 IST
