इस सीट पर करीबी था मुकाबला, चंद वोटों से चूक गई थी राजद, मगर इस बार हो सकता है बड़ा खेला!

बीते 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 संसदीय सीटों में से 39 पर एनडीए को जीत मिली थी. बची हुई एक सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार विजयी हुए थे. जिन 39 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी उसमें एक सीट ऐसी थी जहां वोटों का अंतर बहुत कम था. यादव बहुल इस सीट पर राजद के उम्मीदवार चूक गए थे. लेकिन, यह साल 2024 है और चीजें काफी बदल गई हैं. ऐसे में इस सीट पर खेला होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. जी हां, हम बात कर रहे हैं दक्षिणी बिहार की जहानाबाद संसदीय सीट की.

कभी नक्सलियों का गढ़ कहा जाने वाला यह जिला ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. पर्यटक स्थल वाणावर के साथ ही सूफी सर्किट से जुड़ी बीबी कमाल की मजार इस संसदीय क्षेत्र की पहचान है. नक्सली आतंक से पीड़ि‍त कृषि प्रधान क्षेत्र ने कई नरसंहारों का दंश झेला है. हालांकि, अब क्षेत्र को नक्सली वारदातों से मुक्ति मिल चुकी है. परिसीमन के बाद जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में जहानाबाद, घोसी, मखदुमपुर, अरवल की कुर्था और अरवल, और गया जिले की अतरी विधानसभा सीटें शामिल कर दी गईं.

चुनावी इतिहास
वर्ष 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के बिगेश्वर मिश्रा यहां के सांसद बने. उनके बाद 1957 और 1962 में कांग्रेस की सत्यभामा देवी सांसद रहीं. 1967 से 1971 तक भाकपा के चंद्रशेखर सांसद रहे. 1977 में जनता पार्टी के हरिलाल प्रसाद सिन्हा लोकसभा पहुंचे. 1979 में हुए लोकसभा चुनाव में अरिस्टो फार्मास्यूटिकल्स के एमडी महेंद्र प्रसाद उर्फ किंग महेंद्र को यहां के लोगों ने सांसद बनाया. 2004 में राजद के गणेश प्रसाद सिंह तथा 2009 में जदयू के डॉ. जगदीश शर्मा यहां से जीते. 2014 में डॉ. अरुण कुमार यहां के सांसद बने. 2019 में जदयू के चंदेश्वर प्रसाद को जनता ने संसद में भेजा.

4 बार जदयू, 2 बार राजद की जीत
जहानाबाद संसदीय क्षेत्र में 15 लाख 80 हजार 563 मतदाता हैं. यादव और भूमिहार बहुल इस क्षेत्र में वर्ष 1977 के चुनाव को छोड़ दें तो आमने-सामने के मुकाबले में यादव और भूमिहार जाति के प्रत्याशी ही जीतते रहे हैं. 1998 के बाद से हुए चुनाव में चार बार जदयू और दो बार राजद ने जीत हासिल की है.

वर्ष 2019 के चुनाव में एनडीए ने नया प्रयोग किया है और अतिपिछड़ा समुदाय के चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी पर दांव खेला. नीतीश कुमार का यह आइडिया तुरुप का एक्का साबित हुआ और वे पार्टी नेतृत्व के भरोसे पर खरा उतरे और चुनाव में जीत हासिल की. 2019 के चुनाव में राजद के प्रत्याशी सुरेंद्र प्रसाद यादव को जदयू प्रत्याशी चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी ने मात्र 1751 वोटों से शिकस्त दी थी.

2014 में सांसद रहे अरुण कुमार भी लोग जनशक्ति पार्टी रामविलास की ओर से जहानाबाद लोकसभा सीट पर दावेदारी कर रहे हैं. 2014 में बीजेपी से गठबंधन में जब यह सीट रालोसपा को मिली थी तब अरुण कुमार ने जीत दर्ज की थी. हालांकि, 2019 के चुनाव में वह तीसरे नंबर पर रहे थे.

Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha Elections

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Udan Live
Author: Udan Live

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